गोवर्धन गिरधारी
जय गोवर्धन गिरधारी,
ओ बांसीवाले बनवारी,
श्याम सलोना मुकुट धारी!
तुझ पर बलिहारी जाऊं री।।
ओ नटखट बाल बिहारी,
मुख माखन पग पैजनियाधारी,
तीनों लोक के करतारी!
तुझ पर बलिहारी जाऊं री।।
सुन मोहन छविधारी,
जग के मनोहर उपकारी,
तेरी विरहिन गोपियां सारी!
तुझ पर बलिहारी जाऊं री।।
राधा तेरी प्राणधारी,
बिन तेरे निर्धन, गिरधारी,
हे केशव कृष्ण मुरारी,
तुझ पर बलिहारी जाऊं री!!
नंद जसोदा के विश्वमूर्ति,
बासुदेव देवकी के ज्योति,
मीरा के तुम सर्वस संसारी!
तुझ पर बलिहारी जाऊं री।।
हे यदवेंद्र, पार्थसारथी,
गौ लोक के करतारी,
सिखाए प्रेम तुम अवतारी!
तुझ पर बलिहारी जाऊं री।।
तू बाल गोपाल, द्वारिकाधीश,
हे अनिरुद्ध,अनिंतजीत,
त्रिविक्रमा, राधा प्राणपति!
तुझ पे बलिहारी जाऊं री।।
तुम अंतर्यामी चक्रधारी,
पूतना, कंश के संघारी,
मीत सुदामा के चरण पखारी!
तुझ पर बलिहारी जाऊं री।।
आंचल शरण
बायसी पूर्णिया