गुरु की महिमा
उस महान व्यक्ति की मैं क्या करूँ प्रशंसा, मेरे शब्दों में इतनी शक्ति कहाँ है!
आज जो कुछ भी हूँ, ये उनकी ही रहमत है, जो खुद सड़क की भाँति स्थिर रहकर दूसरों को मंजिल तक पहुँचाते हैं।
पहला गुरु माँ है, ये कहते ब्रह्मा, विष्णु, महेश हैं, दूसरे गुरु होते हैैं वो जो ज्ञान देने वाले शिक्षक हैं।
यह हमें संसार में जीने योग्य बनाते हैं, इसलिए तो उनसे “मैं” हूँ वो मुझसे नहीं।
बिन गुरु के मनुष्य का जीवन शून्य बन कर रह जाता है,
गुरु के मिलते ही मानो शून्य के आगे अंक लग जाता है।
गुरु सदा हमें ज्ञान देकर अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं,
केवल सांसारिक और भौतिक ज्ञान ही नहीं ये आध्यात्म का भी ज्ञान कराते हैं।
हमेशा कर्तव्यनिष्ठ, अनुशासित, सादा जीवन, उच्च विचार जीने की कला हमें सिखलाते हैं |
राम कृष्ण हो या संत कबीर, गुरु आज्ञा के सब रहे अधीन,
तो हम मानव कैसे पा सकते हैं गुरु बिन मंज़िल।
गुरु की कृपा से तो शिष्य बड़े से बड़ा भवसागर पार कर सकता है,
इनके बगैर तो जीवन का नाव भी चन्द क्षणों में डूब जाता है।
गुरु की शक्ति को तो इतिहास भी बतलाया है, जहाँ भक्त प्रह्लाद, एकलव्य, अर्जुन और आरुणि जैसे महान शिष्यों ने उनका आशीष पा कर इतिहास बनाया है।
हम जिससे भी जो कुछ सीखते हैं वो सभी गुरु तुल्य ही हो जाते हैं
चाहे हिंदू, मुस्लिम हो या सिख ईसाई, गुरु की महिमा को सबने समझाया है।
आँचल शरण
प्रा. वि. टप्पूटोला
प्रखंड बायसी
जिला पूर्णिया
बिहार