गुरु की महिमा
हैं, समाज के तीन स्तंभ
माता, पिता और गुरू
मिली हमें माता से जीवन,
और करते पिता सुरक्षित जीवन,
पर एक शिक्षक हमें सिखाता,
जीना अपना जीवन सच्चा,
कभी हार ना मानना इस जीवन से
संघर्षों से कभी न भागना,
आई मुसीबत तो करो,
उसका डटकर सामना,
हो कुछ भी सच्चाई के मार्ग पर चलना,
आप शिक्षक ही तो हमें सिखाते,
इसलिए शिक्षक आप कहलाते,
निकाल गुमनामी के अंधेरों से,
बना दिया मेरी पहचान,
दूर कर दिया गम दुनिया की,
हुई कृपा गुरु की कुछ ऐसी,
मुझ नाकाबिल को भी,
बना दिया इंसान,
शिक्षक की गोदी में ही खिलती,
उज्जवल भविष्य का सूरज,
मेरी जिज्ञासाओं को,
स्नेह का दिया अमृतपान,
दिया मुझे हमेशा शिक्षा का ज्ञान,🌷
बीनू मिश्रा
पोस्ट– नवगछिया
जिला– भागलपुर
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