गुरु महिमा
है गुरूदेव की महिमा अपार भैया,
इसको माना है सारा संसार भैया।
गुरु के चरणों में काबा-काशी,
चाहे गृहस्थ हो या संन्यासी।
सबका हुआ है बेड़ा पार भैया,
इसको माना है सारा संसार भैया।
गुरु होते हैं पत्थर-पारस,
उनकी वचन हों जैसे सुधा रस।
जिसने पान किया हुआ उसका उद्धार भैया,
इसको माना है सारा संसार भैया।
गुरु की शरण जैसे गंगा जल,
चरण गहते हो काया निर्मल।
जिसने सच्चे मन से किया ऐतवार भैया,
इसको माना है सारा संसार भैया।
गुरु होते साक्षात भगवान,
मुंह मांगा मिले वरदान।
गुरु भक्तों का हुआ है सपना साकार भैया,
इसको माना है सारा संसार भैया।
शिष्य थे कर्ण, अर्जुन, एकलव्य,
इनकी गुरुभक्ति था द्रष्टव्य।
गुरु देते हैं शिष्यों को संस्कार भैया।
इसको माना है सारा संसार भैया।
गुरु होते मनुज-तन धारी,
उनके दर्शन मात्र भय हारी।
उनकी विनती करूं मैं बारंबार भैया,
इसको माना है सारा संसार भैया।
जैनेन्द्र प्रसाद रवि
म. वि. बख्तियारपुर
(पटना)