गुरु महिमा
गुरु महिमा अनंत लखे जेहिं आदि अंत,
माता शारदा के संग वेद जो कहाते हैं।
नरतन रूप धरे सगुण साकार किये,
धरम उत्थान हेतु आप चले आते हैं।
करूणा दया के साथ करते जो सदाचार,
ब्रह्म को बताते और ब्रह्म में रमाते हैं।
अज्ञान तिमिर हरे ज्ञान का प्रकाश भरे,
शिष्य अंत:करण को उज्ज्वल कराते हैं।
ज्ञान और देते ध्यान समता सुबुद्दि जान,
मोक्ष मार्ग जाने की भी युक्ति बन आते हैं।
हरि हर विधि भजे मनसा अहं ज्यों तजे,
सत्संग में जाके निज शीश वो नवाते हैं।
जो भी मांगो सब देते कभी कुछ नहीं लेते,
सुमति को देने वाले कुमति नशाते हैं।
गुरु गुण गावे जोई आज्ञा मानि ध्यावै सोई,
“मनु” कहे निश्चय वो ईश लख पाते हैं।
स्वरचित:-
मनु रमण “चेतना”
पूर्णियाँ, बिहार
0 Likes