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हम बच्चे भी तो भविष्य देश के-अपराजिता कुमारी

हम बच्चे भी तो भविष्य देश के

हम बच्चे भी तो भविष्य देश के,
बालश्रम क्या देश के
भविष्य पर प्रतिघात नहीं

🧒🏻हमें भी दे दो ना, खेलने,
पढ़ने, प्यार, दुलार को
क्यों श्रम करने को है, हम लाचार

👦🏻गरीबी, घर की जिम्मेवारी का बोझ
मजदूरी करवाती,
हमसे हर रोज

👱🏽‍♂️ हमें भी दे दो ना, कंधों पर किताबों का बैग
नहीं कंधों पर ईटों, कचरो का बोझ,

🧒🏻हमें भी दे दो ना, हाथों में कलम की ताकत,
नहीं जूठे बर्तनों, कपडों का ढेर,

👦🏻 हमें भी पीना है, ज्ञान का घूंट
नहीं पिलाना दूसरों को पानी, चाय

🧒🏻हमें भी दे दो ना, जीवन में उजाला
नहीं चाहिए, गैराजो कि कालिखें,

👦🏻हर चौराहे, सिग्नल पर बेचते
खिलौने, कलम, किताबें

👧🏻 खेलते ना उन खिलौनों से
ना लिख पढ़ पाते उन कलम, किताबों से

👦🏻हमें भी दे दो ना, स्कूल की वर्दी
अनुशासन और ज्ञान की बातें,

🧒🏻 बस रहती एक ही धुन
पेट की आग बुझाने को

👧🏻अपराध, शोषण गुलामी, तिरस्कार झेलते,
क्या हम नहीं, भविष्य देश के

🧒🏻बालश्रम, क्या भविष्य पर प्रतिघात नहीं,
क्या यह सभ्य समाज पर अभिशाप नहीं,

👦🏻सभी बालश्रम निषेध दिवस, मनाते
क्यों नहीं हमारे विमुक्ति, पुनर्वास का प्रयास करते

👦🏻 हम बच्चे भी तो भविष्य देश के,
बालश्रम क्या देश के भविष्य पर प्रतिघात नहीं?

 

अपराजिता कुमारी
उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय
जिगना जगन्नाथ हथुआ गोपालगंज

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