हमारा भारत प्यारा
सदियों से देश हमारा भारत प्यारा
सारे जहां से है यह बहुत ही न्यारा।
रंग-रुप, भेष-भाषा में है विविधता
इसकी अनेकता में भी है एकता।
फिर भी है इसकी खास पहचान
विश्व भी करता है इसका गुणगान।
जन-जन में प्यार की बहती है गंगा
चारो दिशाओं में हर मन रहता है चंगा।
भारत माता कण-कण में है विराजमान
यहां अतिथि भी कहलाते हैं भगवान।
देश पर हो जाते लाखों दिल कुरबान
हर आंखें करती हैं मुल्क की निगेहबान।
आजादी की कहानी भी है बेहद निराली
दिखती खेत-खलिहानों की भी हरियाली।
हमें नाज़ है अपने ऐसे वतन-ए-हिन्द पर
गुजरात, मराठा, पंजाब, द्रविड़ और सिंध पर।
शहीदों की कुर्बानियों से यहां हर दिल डोला
देश का हर बच्चा-बच्चा जय हिन्द बोला।
कर्म वीरों ने खून-पसीना अर्पित कर दिया
देश की खातिर तन-मन-धन समर्पित किया।
अब तो यहां के खेत-खलिहानो में बहार है
बागों और कलियों में भी गजब का निखार है।
भारत के तिरंगे की हर शान बनी रहे
जन-जन की पुकार, आन और बान बनी रहे।
भारत को उपमा मिली सोने की चिड़ियां
अंग्रेज काल में जकड़ी गुलाम की बेडियां।
चौदह अगस्त सैंतालिस तक था देश परतंत्र
पंद्रह अगस्त सैंतालिस को हुआ यह स्वतंत्र।
गांधी, नेहरु, सुभाष, सरदार पटेल ने
आजादी के तराने और साज छेड़े।
भगतसिंह, आजाद और उधम सिंह
वीर शहीदों ने कुर्बानी के राग छेड़े।
वर्तमान में यह स्वतंत्र लोकतंत्र में है
भारत के जन-जन में जनतंत्र है।
भारत देश एक प्यारा सा चमन है
इस मातृभूमि को बार बार नमन है।
हर देश हर वेश से भले अलग हैं
हम भारतवासी हमेशा ही सजग हैं।
भारत की संस्कृति और सभ्यता
विश्व में अनूठी अलग और महान है।
धन्य-धन्य हैं हम सब भारतवासी
खुश किस्मत से इसकी संतान हैं।
विश्व गुरु भारत की है कथा अनंत
सदियों से अपनी परंपरा है अलग।
कला, संस्कृति अनोखे रिवाज रिवायतें
हम सब इन सबसे कभी हुए न विलग।
सदियों से देश हमारा भारत प्यारा
सारे जहां से है यह बहुत ही न्यारा।
सुरेश कुमार गौरव
स्वरचित मौलिक रचना
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