हरदम पढना है
हम सबको हरदम पढ़ना है
कुछ ना कुछ तो ज्ञान बढ़ेगा
ज्ञान कलश ऐसा हो जाए
जो सागर दिन-रात बहेगा।
जो भी मिले उसे पढ़ने से
थोड़ा ज्ञान प्राप्त हो जाता
फिर उसपर चिंतन करने से
भरपूर ज्ञान तो मिल ही जाता।
पढ़ने का यह मतलब न है
केवल किताब को पढ़ते रहना
इसका मतलब आस-पास की
वस्तु को हीं है निहारना।
भरपूर ज्ञान न मिल पाता
गर इच्छा न हो पढ़ने की
ज्ञान अधूरा रहने से
न मौका मिलती बढ़ने की।
जितने भी जग में अमर हुए
हैं ज्ञान प्राप्त करके ही वो
न कभी भुलाते हम उनको
वो जो भी थे हम जैसे तो।
बस इच्छा शक्ति को बढ़ाकर
पढ़ने की आदत होगी
फिर न कोई कहलाएगा
यायावर अनपढ़ योगी।
ज्ञानवान को सभी पूछते
जाने यह दुनिया सारी
फिर भी कुछ जन ज्ञान प्राप्त को
समझे क्यों बहुत भारी ?
विजय सिंह नीलकण्ठ
सदस्य टीओबी टीम
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