हौसलों से ऊँची उड़ान
रख विश्वास अपने मेहनत पर तू, एक दिन करेगा अपने ऊपर अभिमान,
छोड़ मत देना ये उम्मीदें क्योंकि अभी भरनी है तुझे अपने हौसलों से ऊँची उड़ान….
देख इन पहाड़ो को कैसे अडिग है सदियों से,
सिख निरंतर बहने की इन निर्मल धाराओं भरी नदियों से…
टूट कर मत बिखरना तू, जब तक है बचा तुममें जान,
उठ,चल,अब मंजिल दूर नहीं है , इस बात को तू दिल से मान….
समंदर जैसा खुद को बना गहरा , अपने तप से चमका दे सबका का चेहरा.
है तुझमे भी वो ताकत की तू भी बन सकता है समंदर जैसा गहरा….
अपने वजूद को कभी ना मिटने देना, अभी इस दुनिया को है तेरी हर कामयाबी देखना..
जला दे खुद को इस आंधी भरी रौशनी में, अपनी तकदीरें कभी दूसरों को ना लिखने देना…
रख विश्वास अपने मेहनत पर तू, एक दिन करेगा अपने ऊपर अभिमान,
छोड़ मत देना ये उम्मीदें क्योंकि अभी भरनी है तुझे अपने हौसलों से ऊँची उड़ान….
रचयिता – रवि कुमार
पद – शिक्षक
कन्या उत्क्रमित मध्य विद्यालय, मसाढ़, उदवंतनगर, भोजपुर ( बिहार ) ।

