हे शैलसुता!
हे पर्वतराज हिमाद्रि जना,
हे भवभय तारिणी बृषवाहना।
हे कल्याणी सती सत्य शिवा ,
प्रणमामि त्वयं हे शैलसुता।
हे श्वेताम्बरा हे प्रेम सुधा,
हे तप जप ज्ञान की मातु विभा।
हे सती शिवांगी हे सत्यरूपा,
प्रणमामि त्वयं हे शैलसुता।
हे शिवशक्ति शिवभक्ति रूपा,
हे शिव -हृदय की स्वयं – प्रभा।
हे जन्म जन्म शिव की तू शिवा,
प्रणमामि तव्यं हे शैलसुता।
अद्भुत अनुराग की रश्मि प्रभा,
हे शिव संग राग अनंत कथा।
हे कमल पुष्प त्रिशूल धरा,
प्रणमामि तव्यं हे शैलसुता।
डॉ.स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या’
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