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Head Teacher – Shourabh Prabhat

नील गगन में चमके चमचम

आज प्रकाशित यह हिन्दी।

अंतस में यों छिपकर बैठी

भाव प्रवाहित यह हिन्दी।।

जन गण मन की भाषा हिन्दी

भारत की परिभाषा है।

विश्व विजेता के आँचल की

शौर्य जनित अभिलाषा है।

छंद अलंकारों से गुंजित

भाष्य सुभाषित यह हिन्दी।

अंतस में यों ………………. ।।

शिव तांडव हो ओजमयी या

*लास्य नृत्य का गान मधुर।

हिन्दी की बिंदी से खिलता

उभय राग का तान मधुर।

प्रीत सुधा अठखेली करती

सदा सुवासित यह हिन्दी।

अंतस में यों……………….. ।।

उष्म अनल का ताप यही है

शीतल मंद समीर यही।*l

मोहक सी मुस्कान यही है

जनमानस की पीर यही।

सदा रखे आनंदित सबको

करे प्रभावित यह हिन्दी।

अंतस में यों…………………।।

हर भाषा के अपने गुण हैं 

अपने अपने अवगुण भी।

भाषाविद कर नित नव शोधें 

बनते हैं नित्य निपुण भी।

सबका हो सम्मान जगत में 

करे प्रचारित यह हिन्दी।

अंतस में यों…………………।।

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