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जग में महान है नारी-सच्चिदानंद कुमार सिंह

जग में महान है नारी

सृष्टि की अद्भुत खोज है,
झलकती उसमें ओज है,
सजा है उसी से संसार सारा,
बन जननी सबको धारा,
प्रत्यक्ष की प्रमाण है नारी,
जग में महान है नारी।

वही माँ बनती है,
बेटी बन वही हँसाती है,
एक भाई की बनती बहन है,
कहीं भाभी, तो कहीं दुल्हन है,
हर रिश्तों की पहचान है नारी,
जग में महान है नारी।

कभी ना तू अबला है,
हर कदम तू सबला है,
तू हीं ज्ञानदा, तू हीं आदि शक्ति है,
तू हीं वैभव, तू हीं भक्ति है,
सतीत्व का सम्मान है नारी,
जग में महान है नारी।

पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर,
अलग पहचान बनाई है,
सेना से लेकर अधिकारियों तक,
हर पदों का मान बढ़ाई है,
अब राष्ट्र की बनी शान है नारी,
जग में महान है नारी

धैर्य की प्रतिमूर्ति है,
साहस अदम्य इसमें समाई है,
प्रेम की परिभाषा है यह,
ममता बरसाती हर अंगनाई है,
कर्म रूपी वीणा की तान है नारी,
जग में महान है नारी।

बिना इसके सब अपूर्ण है,
इसी से होता जगत संपूर्ण है,
स्वयं में अनगिनत रूपों का प्रकार है,
जीवन चक्र का अमूल्य आधार है,
प्रकृति का वरदान है नारी,
जग में महान है नारी।

सच्चिदानन्द कुमार शर्मा
रा• म• विद्यालय महिन्दवारा
प्रखण्ड- महनार
जिला – वैशाली

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