ज़रा संभल
ऐ राही ज़रा संभल
बाहर निकलने के लिए न मचल
काल रूप धर आया है बनकर कोरोना
इसे तुम समझो न बच्चों का खिलौना
काल कल्वित आंकड़े निरन्तर है बढ़ रहे
काल के गाल में जन-जन समा रहे
काल के कपाल पर न कुछ लिख सकेंगे आज हम
खुद को लॉकडाउन कर खुद को बचा सकेंगे आज व कल हम
कोरोना रूपी शत्रु पर वार कर
कोरोना रूपी शत्रु पर वार कर
कल जीना है यदि तुम्हें
कुछ तो उपाय कर
मास्क, सेनेटाइजर लगाकर निकल
सामाजिक दूरी का पालन कर
कोरोना रूपी शत्रु पर वार कर
कोरोना रूपी शत्रु पर वार कर
बड़े बड़े अनुसंधान निरंतर हैं हो रहे
वैक्सीन भी आ गए बस थोड़ा सब्र कर
ऐ राही ज़रा संभल
बाहर निकलने के लिए न मचल
ये समय नही है कुछ ठीक चल रहा
काल रूपी कोरोनो निरन्तर अपना पांव है पसार रहा
फिर भी तू विश्वास कर
मास्क, सेनेटाइजर, दो गज की दूरी का उपयोग कर
खुद को लॉकडॉउन कर
ऐ राही जरा संभल
बाहर निकलने के लिए न मचल
कोरोना रूपी शत्रु पर वार कर
कोरोना रूपी शत्रु पर वार कर
ऐ राही ज़रा संभल
ऐ राही ज़रा संभल।।
अवनीश कुमार
उत्क्रमित मध्य विद्यालय अजगरवा पूरब
प्रखंड:- पकड़ीदयाल
जिला :- पूर्वी चंपारण ( मोतिहारी)