Site icon पद्यपंकज

जीवन से हार मत मानो – राहुल कुमार रंजन

अँधेरा चाहे बहुत गहरा हो,
रात भले ही ठहरी हो,
आशा की किरण कहीं न कहीं,
तुम्हारे लिए भी फैली हो।

दर्द तुम्हारे गहरे सही,
घाव तुम्हारे गहरे सही,
पर ये दुनियाॅं छोड़ने से,
हल नहीं निकलता कोई।

एक कदम जो रुक जाओ,
एक साँस जो थम जाओ,
शायद अगली सुबह तुम्हें,
नई राह दिखा जाए।

जिनके लिए तुम दुनियाॅं हो,
तुम्हें खोकर वो रोएँगे,
तुम्हारे सपने जो अधूरे हैं,
वो कल पूरे हो सकते हैं।

मत मानो हार ये जीवन से,
मत तोड़ो ये डोर प्राण की,
तुम खुद कहानी हो अधूरी,
तुम्हीं से है जीत जहान की।

राहुल कुमार रंजन
शिक्षक
मध्य विद्यालय ओरलाहा
बड़हरा कोठी, पूर्णिया

1 Likes
Spread the love
Exit mobile version