जिंदगी
सुख-दुख में पलती है जिंदगी, कहीं खुशी कहीं गम है जिंदगी।
कहीं अपनों का साथ है जिन्दगी,
कहीं परायों का साथ है जिन्दगी।
कटती सबको साथ लिए जिन्दगी,
कभी पतझर कभी बहार जिन्दगी।
कभी-कभी आशा है जिन्दगी।
कमी-कभी निराशा है जिन्दगी,
कभी उतार कभी चढ़ाव जिंदगी।
कभी सुख का ठहराव जिन्दगी,
कभी दुख का पड़ाव है जिंदगी।
कभी तोहफा खुशियों भरा है जिंदगी,
कभी उदासी बादल छाई जिंदगी।
विकट परिस्थितियों में भी स्थिर रहना सिखाती है जिन्दगी,
कभी मुश्किलों से लड़ना भी सिखाती है जिंदगी।
जीवन में कभी धूप तो कभी छांव है जिंदगी,
आखिर इसी सुख-दुख का नाम है जिंदगी।
सच पूछो तो ये खुली किताब है जिंदगी,
कभी हॅंसकर कभी रोकर बीतती है जिंदगी।
फिर भी सुन्दर सपने को सजा रही है जिन्दगी,
इसलिए रास आ रही है ये सुनहरी जिन्दगी।
रीना कुमारी (शिक्षिका)
प्रा० वि० सिमलबाड़ी पशिचम टोला
बायसी पूर्णियाँ
बिहार