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जिन्दगी से दोस्ती-मनु रमण

Manu

जिन्दगी से दोस्ती

मानव जीवन है बड़ा अनमोल, इसकी महत्ता को समझ लीजिये।
परमात्मा का दिया हुआ यह अनुपम वरदान, इसका सदुपयोग किया कीजिये ।

कब तलक रहेंगे यहाँ, है कुछ पता नहीं,
दिल में बस प्रेम पुष्प, खिलाया किजिए,
मिली है जिन्दगी बड़े भाग्य से, जिन्दगी से दोस्ती किया कीजिये।

चौरासी लाख योनियों को पार करके मिला है यह जीवन,
इसे विषय-भोगों में व्यर्थ गँवाया न कीजिये।
सद्कर्म करके, प्रभु भक्ति करके,
इस जीवन को सार्थक किया कीजिये।

अशुभ कर्मों से न हुआ है, कभी किसी का भला,
अशुभ कर्मों का त्याग हमेशा किया कीजिये।
मैं-तू, अपना-पराया, यह तो बस भ्रम मात्र हैं,
उदार बनकर सारी पृथ्वी को अपना बनाया कीजिये ।

इन्द्रियों के दास बनकर, बर्बाद होती जिन्दगी,
इन्द्रियों को वस में कर, महावीर बना कीजिये।

कर्मों से हीं व्यक्ति अपना शत्रु, और अपना मित्र है,
कर्तव्य कर्मों को कर, जिन्दगी से दोस्ती किया कीजिये।

हमारा जीवन हो दूसरों के लिए अनुकरणीय,
सत्य और प्रेम से इसे संवारा कीजिये।

दया, क्षमा, संयम, सेवा, त्याग, सहानुभूति,
इसे जीवन में धारण किया कीजिये,
परोपकारी बन जिन्दगी से दोस्ती किया कीजिये।

जो सही राह से भटके हैं, उन्हें सही राह दिखाया कीजिये,
आई हो चाहें कितनी मुसीबत, हर पल मुस्कुराया कीजिये।

बड़ा-छोटा, अमीर-गरीब उँच-नीच कोई नहीं,
समता का भाव अपनाकर, सबकी मदद किया कीजिये।

सभी प्राणियों में है वह परमात्मा, किसी को तकलीफ न दिया कीजिये,
भले निरोग को आपकी जरूरत नहीं, रोगी की सेवा किया कीजिये।

मानव जीवन है बड़ा अनमोल,
इसका महत्व समझा कीजिये,
शुभ और अशुभ कर्मों में फर्क जान,
जिन्दगी से दोस्ती किया कीजिये।

स्वरचित:-
मनु रमण
पूर्णियाँ, बिहार

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