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जीवन की चुनौतियाँ-लवली वर्मा

जीवन की चुनौतियाँ

देखकर चुनौतियों का सागर,
पार करना है मुझे।
गिरकर, संभलकर और फिर उठकर,
कर्मपथ पर चलना है मुझे।

कठिनाइयों से हो परिचित,
विचलित न होना है मुझे।
घायल होकर मुसीबतों से,
भयभीत न होना है मुझे।

देखकर बादल घनेरे,
भींग जाना है मुझे।
बादलों की गरज सुनकर,
नहीं डरना है मुझे।

चुनौतियों का सामना कर,
लक्ष्य पाना है मुझे।
गिरकर, संभलकर और फिर उठकर,
कर्म करना है मुझे।

हौसलों को बुलंद करके,
गगन छूना है मुझे।
छूकर के इस गगन को,
सितारों सा चमकना है मुझे।

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लवली वर्मा
कटिहार,बिहार

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