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जीवन को बचाना है तो टीका जरूर लगवाना है-विवेक कुमार

Vivek

जीवन को बचाना है तो टीका जरूर लगवाना है

चल रही जिंदगी के गाड़ी की रफ्तार जिसने रोका है,
इंसानियत को जिसने बीमार करके छोड़ा है,
रोशनी में जिसने बनकर अंधियारा छाया है,
चारों तरफ जिनका कोहराम ही नजर आया है,
दहशत का परचम जिसने हर जगह लहराया है,
कोरोना नाम है उसका वुहान से चलकर आया है।
इसका तोड़ टीका ही बनकर आया है,
संकट की घड़ी में इसका ही एक सहारा है,
एकसाथ हमें मिलकर एक नारा गुनगुनाना है
जीवन को बचाना है तो टीका जरूर लगवाना है।

अस्तित्व बचाने की नौबत अब आन पड़ी है,
खौफनाक मंजर से अपने को बचाने की कवायत खड़ी है,
दो गज की दूरी मास्क है जरूरी,
अभी यह आदत है बहुत जरूरी,
संग सैनिटाइजर से हाथ धोना भी है जरूरी,
मगर टीका का कवच है सबसे जरूरी,
हमें साथ मिलकर एक नारा गुनगुनाना है,
जीवन को बचाना है तो टीका जरूर लगवाना है।

18 वर्ष से ऊपर के सभी जन को इसका डोज लेना है,
पहले डोज के साथ ही दूसरा डोज भी सारे काम छोड़ कर लेना है,
खुद तो लेना ही है जन-जन को भी प्रेरित करना है,
स्वस्थ समाज संग राष्ट्र का अभियान सफल बनना है,
हमें साथ मिलकर एक नारा गुनगुनाना है,
जीवन को बचाना है तो टीका जरूर लगवाना है।

समाज के निर्माण में शिक्षक अग्रणी भूमिका निभाते हैं,
बच्चों के सोपान गढ़ने में जी-जान लगा देते हैैं,
बच्चे राष्ट्र की धरोहर बन हर पल मुस्काते हैं,
शिक्षक की कर्तव्यपरायणता की जग में न कोई सानी है,
5 सितंबर तक सभी गुरुजनों को स्वास्थ्य केंद्र पर जाना है,
31 अगस्त के टीकाकरण महा अभियान सफल बनाना है,
जीवन को बचाना है तो टीका जरूर लगवाना है।

✍️ विवेक कुमार
उत्क्रमित मध्य विद्यालय, गवसरा मुशहर
(स्व रचित एवं मौलिक)

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