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जीवन उत्सव है-मनु कुमारी

जीवन उत्सव है

जीवन क्या है ? उत्सव है।
सुख-दुःख से पार जाने का।
निराशा छोड़ आशाओं का हाथ थामने का।
हमेशा फूल पर नहीं, काँटों पर चलकर खुशी महसूस करने का।

परिवार के साथ केवल खुशी का पल बिताना नहीं,
जीवन उत्सव है, उनके साथ दुःख और परेशानी में हर क्षण साथ देने का।
यह संसार अनंत दुःखालय है।
इसमें माया है, मोह है, लोभ है,
क्रोध है, काम है, अहंकार है।
जीवन उत्सव है,
माया में रहकर मायापति को जानने का।
विकारों का संग छोड़ अविकारी बनने का।

इस मन में आते कलुषित भावना।
ईर्ष्या, द्वेष, और जलन की भावना।
पाप की ओर अधिक मन भागे।
जीवन उत्सव है।
कलुषित मन में
प्रेम भाव लाकर, ईर्ष्या, द्वेष मिटाने का।
जरूरतमंदो, दीन दुःखियों, बीमारों
पडोसियों की सेवा करने का।
“वसुधैव कुटुंबकम” के सिद्धांत पर चल,
परोपकार की राह अपनाने का।
जीवन उत्सव है।

जीवन क्षणभंगुर है।
पानी के बुलबुले की तरह,
कब क्या हो ठिकाना नहीं
कब मर जाएँगे ठिकाना नहीं
कहाँ से आए हैं? कहाँ है जाना
कब निकल जाएगी ये सांसे
इसका नहीं है ठिकाना l
जीवन उत्सव है।
ये चिंतन मनन करने का,
जीवन में आगे बढने का,
मानव तन की उपादेयता जानने का।
थोड़ी जिंदगी में,
हँसी खुशी से जीने का। जीवन का सदुपयोग करके,
देव दुर्लभ तन से भक्ति करके,
संसार छोड़कर जाने का।
जीवन उत्सव है।

जीवन उत्सव है।
जन्म से मृत्यु पर्यन्त का।
अंधकार में रहकर हीं, प्रकाश को ढूंढने का। असत में रहते हुए सत्य को ढूंढने का।
पिंड को छोड़कर, ब्रह्माण्ड में जाने का।

जीवन उत्सव है l
मर्त्यलोक में रहकर अमरत्व को पाने का।
अनंत आनंद का।
आनंद के उर्जा संचरण का।
करूणा, प्रेम, दया, धर्म का।
दान दीप का ज्ञान के प्रदीप का।
जीवन उत्सव है।
नाकारात्मक छोड़, साकारात्मक अपनाने का।
इस धरा को सुन्दर, सजल सजीव बनाकर,
स्वर्ग को धरती पर उतारने का।
जीवन उत्सव है।

मनु कुमारी
पूर्णियाँ बिहार

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