कर्तव्य पथ पर बढ़ चल
आएगी मुश्किलें बहुत,
राह चलना नहीं आसान।
कहीं खाई है तो कहीं पथरीली राहें,
कर्तव्य पथ पर बढ चल।।
कभी बर्फीले तूफानों में,
तो कभी रेगिस्तान में।
मुश्किलों का सामना कर,
कर्तव्य पथ पर बढ़ चल।।
मातृभूमि की सीमा को,
अपने लहू से सीचा है मैंने।
दुश्मनों को परास्त कर,
कर्तव्य पथ पर बढ़ चल।।
बांधकर तिरंगे की कफन,
खाई है हमने कसम।
मातृभूमि की सेवा करने में,
झुके ना कभी मेरा मस्तक।।
अंग्रेजों को धूल चटा कर,
मातृभूमि को आजाद कराया।
कारगिल जैसी युद्धों में भी,
अपनी ताकत का परचम लहराया।।
अशोक कुमार
न्यू प्राथमिक विद्यालय भटवलिया
नुआंव कैमूर
0 Likes