गरीब के वे लाल थे
गरीबी के दर्द को वे समझते थे
सादगी जिनकी पहचान थी
ईमानदारी जिनकी जान थी
देश के मंत्रियों के वे प्रधान थे
वे बड़े ही सौम्य और महान थे
मुंशी शारदा प्रसाद के वे लाल थे
बड़ा ही वे विद्वान और महान थे।
नदी तैरकर वे विद्यालय जाया करते थे
पुराने कपड़ों से वे रुमाल बनाया करते थे
फटे कुर्ते कोट के नीचे पहना करते थे
खास होकर भी जो आम थे
ऐसे वो लाल महान थे
बहादुर जिनका नाम था
देश के वे प्रधानमंत्री महान थे
बड़ा ही कर्मठ और बुद्धिमान थे
2 अक्टूबर 1904 को वे जन्म लिये
देश की सेवा में अपना जीवन अर्पण किये
मंत्री के कई पदों को गरिमा प्रदान किया
भारत का दूसरा प्रधानमंत्री बन
भारत को गौरव प्रदान किया
थर्ड क्लास में वो पंखा लगवाए थे
VVIP कल्चर उन्हें पसंद नहीं आया था
शख्सियत वो महान थे
1964 में जब वे भारत के प्रधान का पद संभाले थे
भारत में एक नया सवेरा आया था
1965 के युद्ध में पाकिस्तान को धूल चटाया था
भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिये
वे सशक्त कदम उठाये थे
जय जवान जय किसान जिनका नारा था
भारत के आँखों के वे तारे थे
जन – जन को वो प्यारे थे।
पर नियति को कुछ और ही मंजूर था
हमलोगों से करना उनको दूर था
ताशकंद वो शांतिदूत बनकर आये थे
शांतिपत्र पर हस्ताक्षर वो सजाये थे
और फिर वहीं अपना प्राण गवाये थे
हीरा में वो कोहिनूर थे
भारत माँ के आँखों के वे नूर थे
हम सबका वे गुरुर थे
जय भारत जय भारती
कुमकुम कुमारी
मध्य विद्यालय, बाँक
जमालपुर, मुंगेर