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माँ तू मेरा संसार-अवनीश कुमार ‘अवि’

माँ तू मेरा संसार

माँ तुम केवल एक शब्द नहीं
सृष्टि कीअनगढ़ंत परिभाषा हो।

माँ तुम केवल हृदय का मर्म नही
हृदय की विशाल अभिलाषा हो।

माँ तुम केवल सौभाग्य ही नहीं
मेरे चमकते ललाट की आभा हो।

माँ तू केवल अपनी ही मुस्कान नहीं
मेरे अधरों पर भी दमकते मुस्कान की पहचान हो।

माँ तुम केवल मेरे निंदिया की लोरी ही नहीं
तू सृष्टि नाद की झंकृत झंकार हो।

माँ तुम केवल जन्मदात्री ही नहीं
सृष्टि निर्माण की निर्माणकर्तृ हो।

माँ तुम केवल माँ ही न हो
अनगिनत रिश्तों का प्रारंभ हो।

माँ तुम केवल मात ही न हो
वात्सल्य रस लुटाने वाली प्रथम गुरु हो।

माँ तुम स्नेहल की साक्षात मूरत ही न हो
नेह,  स्नेह की अद्वितीय सूरत हो।

माँ तू संस्कारों की छांव ही नहीं
माँ तू तो मेरे अरमानो की पाँव हो।

माँ तूझे अपने ऊंचाईयों की परवाह कहाँ ?
तू तो मेरे उच्चाईयों की उड़ान हो।
माँ तू तो मेरे अच्छाईयों की पहचान हो।

तू तो मेरे सद्गुणों का भंडार हो।
तू तो सारे जहाँ की खुशियों की अम्बार हो
माँ तू तो सारे जहाँ की खुशियों की अम्बार हो।।

माँ, मुझसे तेरे वत्स का अभिमान है
मुझसे तेरे परवरिश की पहचान है।
माँ, मेरा और तेरा इक ही तो अन्तरप्राण है
माँ, मेरा और तेरा इक ही तो अन्तरप्राण है।

माँ तू अपने तनय की तान है
माँ तू अपने पूत की परवान है
माँ तू अपने कुमार की बहार है
माँ तू अपने कुमार की बहार है।।

माँ तेरा व मेरा इक ही तो अन्तरप्राण है
माँ तेरा व मेरा इक ही तो अन्तरप्राण है।।

माँ तुझसे ही तो मेरा सारा संसार है
माँ तुझसे ही तो सारा संसार है।।
माँ तुझसे ही तो सारा संसार है।।

अवनीश कुमार ‘अवि’
उत्क्रमित मध्य विद्यालय अजगरवा पूरब
प्रखंड:- पकड़ीदयाल
जिला:-पूर्वी चंपारण (मोतिहारी)

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