माँ वागेश्वरी
जयति जय माँ वागेश्वरी, सरस्वती विंध्यवसिनी।
सकल जगत की तुम हो माता,
हे सकल मंगलकारिनी..
जयति माँ वागेश्वरी..
तुम हो पद्मासना माता शांति, सुख, वरदायनी,
जगत का कल्याण कर माँ,
तुम हो महापातकनाशनी।
जयति माँ …….
पद्म लोचन हैं तुम्हारे, दृष्टि दया की कर जरा,
नाव है मझधार में माँ पार कर दे तू जरा।
जयति माँ….
अज्ञान में सोये हैं मानव ज्ञान की तू लौ जला,
मन मानस में तू हीं मइया प्रेम पुष्प अब दे खिलाखिला।
जयति माँ….
श्वेतवस्त्रधारिणी हो माता, हंसपर भी सवार हो,
जीवन नैया की हे मैया, तू हीं बस पतवार हो।
जयति माँ….
लूट गई हैं मेरी खुशियां, कर कृपा मुझपर ओ मां,
सप्त सुर की धुन सुना मां, तू हो वीणावादिनी ।
जयति माँ…
अंधेरों से भरी ये दुनियाँ, ज्ञान की राह दिखादे तू।
असत्य है चहुँओर घेरे, सत्य की राह दिखादे तू।
जयति माँ…
सुर-असुर तन-मन से भजते,
तुमको माँ दिन-रैन में,
विद्या दायिनी तू हो मैया, सकल मुनिगणवंदिनी।
जयति माँ ….
मैं हूँ बेटी तू हो जननी, कर क्षमा मेरी भूल को,
आवागमन में फँस गयी माँ, तू हटा इस शूल को।
जयति जय माँ वागेश्वरी, सरस्वती विंध्यवासिनी l
स्वरचित:-
मनु कुमारी
मध्य विद्यालय सुरीगाँव
पूर्णियाँ, बिहार