महीनों के नाम
छाया कुहासा ओस गिरी
जाड़े से जनवरी भर गई
दिन हो गई बहुत छोटी
और हो गई रातें लंबी,
आया फरवरी फूलों की लड़ी
बागों मंजरियों में कोयल आई
मार्च हो गया होली में रंगीन
गांव गली घर तपने लगे,
देखो लगता है आ गया अप्रैल
गर्मी धूप धूल और पसीना
देखो आ गया मई महीना
जल बिन जग में है हड़कंप,
मानसुन लेकर आया देखो जून
वर्षा खूब लेकर है आई
है अलग सबसे बहुत जुलाई
नाचा मोर होकर मस्त,
स्वतंत्रता दिवस ले आया अगस्त
देखो ओस गिरे अब बाहर
आया देखो माह सितंबर
त्योहारों की श्रृंखला लिए आई,
अक्तूबर में खूब खाओ मिठाई
पहने गर्म रंग बिरंगी स्वेटर
आ गया देखो माह नवंबर
आओ आग जला बैठे हैं घर पर
शीतल ठिठुरन भरा है माह दिसंबर ।।
बीनू मिश्रा
भागलपुर
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