मैं हूँ पेड़
सृष्टि का मैं संतुलन बनाए रखता हूँ,
प्रकृतिक का मैं सोलह श्रृंगार हूँ,
धरातल पर मुझसे ही है जीवन,
जीवन जीने का मैं ही आधार हूँ,
मैं पेड़ हूँ !
कार्बन डाइऑक्साइड लेकर
ऑक्सीजन सब तक पहुँचाता हूँ
जीव जंतु और मानव को,
स्वस्थ रखने का यह कार्य,
मैं ! बड़ी ईमानदारी से कर दिखलाता हूँ,
मैं पेड़हूँ !
मेरे फल-फूल को लोग
खूब मजे से खाते हैं,
औषधि के रूप में भी,
मैं बड़ा काम आता हूॅं,
मेरे लकड़ियों से बनते
खिलौने और फर्नीचर के कई समान हैं,
मैं सबके घर का रौनक बढ़ाता हूँ,
मैं पेड़हूँ !
मैं बारिश और कड़ी धूप से
सबको बचाता हूँ,
खुद तपता कड़ी धूप में
पर देता सबको शीतल छाया हूँ’
मेरी छाया में बैठ, बच्चे बूढ़े और जवान,
सुनाते अपने जीवन की कहानी,
और भूल बैठते सभी अपनी सारी परेशानी,
मैं हर मौसम में सबके चेहरे
पर खुशियाँ लाता हूँ,
मैं पेड़ हूँ !
आज पृथ्वी है संकट में,
ख्याल तुम भी रख लो,
व्यर्थ न कभी तुम मुझको कटने दो,
पेड़ लगाकर इस पृथ्वी को
हरा-भरा और स्वच्छ बना लो,
आने वाले भविष्य में, संकट से
बचने की राह तुम्हें दिखलाता हूं,
मैं पेड़ हूँ !!
✍️ प्रियंका कुमारी ✍️
प्राथमिक विद्यालय रहिया टोल
बायसी पूर्णिया (बिहार)