मैं शिक्षक हूं
पत्थर तराश हर रोज नया,
मूरत मैं बनाया करता हूं।
बच्चों के भावी जीवन को,
शिक्षा से सजाया करता हूं।
राष्ट्र निर्माण के कारण मैं,
पूजा समाज में हूं जाता।
दिये सा जल जलकर भी मैं,
बच्चों को पथ हूं दिखलाता।
अ से अनपढ़ होते बच्चे,
उन्हें ज्ञ से ज्ञानी बनाता हूॅं।
तम अज्ञान का मिटा सदा,
मैं ज्ञान का दीप जलाता हूं।
नन्हे बच्चों का माता पिता,
गुरु, सखा सभी हूं बन जाता।
विद्यालय की इस बगिया को,
मै माली बनकर महकाता।
बीडीओ, डीएम, एसडीओ औ,
सीएम, पीएम मैं बनाता हूं।
इस देश की उर्वर मिट्टी से,
गांधी, सुभाष जन्माता हूॅं।
हरदम बच्चों का ध्यान रखूं ,
मैं ही उनका शुभ चिंतक हूं।
मैं और नहीं कुछ हूं प्यारे ,
मैं तो बच्चों का शिक्षक हूं।
सुधीर कुमार
किशनगंज, बिहार
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