मानव हो मानव बनो
मानव हो मानव बनो
बुद्धि विवेक से पूर्ण रहो,
व्यवहार सदा अच्छे करो।
उच्च संस्कार से तृप्त बनो,
ईर्ष्या विकार को दूर धरो,
मानव हो मानव बनो। (१)
धन धान्य से पड़े,
मानव सेवा में रहें खड़े।
लोभ लालच त्याग करें,
धर्म को लेकर न लड़ें।
परोपकारी बन खड़े रहो,
मानव हो मानव बनो। (२)
मिथ्या आरोप से बचे रहो,
देश हित के कार्य करो।
नीड़ गमों के दूर करो,
सफल जीवन व्यतीत करो।
मानव हो मानव बनो। (३)
खुद जियो और जीने दो,
मदद जीवन में खूब करो।
सबल हो या निर्बल हो,
सबके दिलों पर राज करो।
मुसीबतों में डटे रहो,
मानव हो मानव बनो। (४)
क्या पाया है तूने ?
क्या खोया है तूने ?
ये मेरा है तेरा नहीं
जो आज है वो कल नहीं
बस करो अब और नहीं।
तुम मानव हो दानव नहीं,
उदेश्य जीवन के कर सही।
मानव सेवा में लगे रहो,
इससे अच्छा धर्म नहीं।
मानव हो, मानव बनो। (५)
अनुज वर्मा
मध्य विद्यालय बेलवा
कटिहार, बिहार