माता का दरबार
अमृत वर्षा हो रही है
माता के दरबार में,
आओ भक्तजनों आ जाओ
माता के पंडाल में।
माता का सब ध्यान लगाओ
पूजा का सब थाल सजाओ,
सुबह और शाम में
आओ पूजा-पाठ करें सब
माता के दरबार में।
कष्ट मिटे हरे सब पीड़ा
चाहे दर्द कितना हो गहरा,
मिल जाती है मन को शांति
माता के दरबार में।
आओ मिलकर शीश झुकाएँ
नाचें-गाएँ खुशी मनाएँ,
माता का आशीष पाएँ
माता के दरबार में।
दीन दुःखियों को देती सहारा
सच्चे मन से करे जो पूजा,
हर लेती है सारे पीड़ा
माता के दरबार में।
शैरावाली माता जी
होती बहुत दयालु है,
भक्तों को देती है सबकुछ
खुद बहुत सा कष्ट उठाती है।
भवानंद सिंह
शिक्षक
रानीगंज, अररिया
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