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माता रानी – जैनेन्द्र प्रसाद रवि

माता रानी का भजन
आंचलिक भाषा में

तोहर माथे में मुकुट गले हार सोहे ला,
माई दसों हाथ तोहर हथियार सोहे ला।
कर में कंगन सोहे भाल सोहे बिंदिया,
असुरों के देख तोहे आवे नहीं निंदिया।
तोहर अंग-अंग सोलहों सिंगार सोहे ला।
माई दसों हाथ तोहर हथियार सोहे ला।।
जहांँ-जहांँ देखूं तोहर सुंदर रे मुरतिया,
श्रद्धा धूप-दीप से उतारूं रे अरतिया।
शेरावाली मैया शेर पर सवार सोहे ला।
माई दसों हाथ………..।।
एक बार दिखा दs अप्पन मोहनी मुरतिया,
हमरा पर दिखावा माई अप्पन पिरितिया।
तोहर छवि सबके मन बार-बार मोहे ला।
माई दसों हाथ तोहर……..।।
जब जब आवे माई तोहर शुभ दिनमा,
तब रम जाइ हम्मर मन तोर चरणमा।
पापी पुत्र खातिर दिल में दुलार सोहे ला।
माई दसों हाथ तोहर………।
जे भी सच्चे मन से आवे मैया के शरणिया,
अक्षत चंदन फुल फल चढ़ावे तोर चरणिया।
ओकर जीवन में नया चमत्कार होबे ला।
माई दसों हाथ तोहर हथियार सोहे ला-२।।

जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’
म.वि. बख्तियारपुर, पटना

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