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माया-मनु कुमारी

माया

माया तुम हो चतुर सयानी।
तुम ऐसे राजा की रानी,
जिसकी सुनी है सभी कहानी,
तुम हो सबको ठगनेवाली,
पग-पग नाच नचाने वाली,
मोहजाल में फंसकर तेरे भ्रमित हुए ज्ञानी।
तुम हो चतुर सयानी….

याद है हमें उस आदमी की कहानी,
जिसके आँखों में भरा तूने लालच का पानी,
कंगन रूप में आदमी को लुभाया,
 उसको मृत्यु के दलदल में
फंसाया,
बाघ का आहार बनाकर तूने, खतम करी उसकी जिन्दगानी।
तुम हो चतुर सयानी …

किसी के घर में हीरा बनकर,
किसी के घर कौनी कानी,
कुछ के घर मूरत बनी बैठी,
तीरथ में हो पानी ।
तुम हो चतुर सयानी …

व्यासदेव के शिष्य जैमिनि,
उन्होंने गुरू की बात ना मानी,
उनको सुन्दर रूप दिखाकर,
प्रेम जाल में उसे फंसाकर,
सत्य की पहचान करायी,
जैमिनि का भ्रम दूर हुआ तब,
बहने लगे अंखियों से पानी ।
तुम हो चतुर सयानी …

राम के घर सीता बन आई,
ब्रह्मा के घर ब्रह्माणी,
विष्णु के घर महालक्ष्मी बनी,
शिव के घर भवानी,
है तेरी अकथ कहानी ।
तुम हो चतुर सयानी…

रंग-रंग के रूप को धरकर,
सबके आँखों में तू बसकर,
मूक को वाचाल बनायी,
और पहाड़ को राई,
तेरी चंचल स्वभाव को,
समझ न पाये कोई विज्ञानी ।
तुम हो चतुर सयानी …

जो तेरे राजा को पाए,
वही तुम को जान पाए,
मायापति पर नहीं चलती,
तेरी कोई मनमानी ,
वह तो है अगुण अगोचर,
तुम रहती मन, बुद्धि, चित्त पर,
सबके मन में लाती हो तुम,
भावना लोभ, मोह और काम की,
तुम पर हीं हो गयी है दुनियाँ,
देखो कितनी दिवानी ।
तुम हो चतुर सयानी…

धन के मोह जाल में पड़कर,
मानव अपना धर्म भूलकर,
करता है तेरी गुलामी,
प्रभु पद पंकज से विमुख हो रहा,
मिटा रहा जिन्दगानी।
तुम हो चतुर सयानी …

सच्चे गुरु के शरण के गहके,
मायापति की भक्ति करके,
अंधकार से प्रकाश में जाके,
नौ द्वार से दसम में जाके,
गगन मंडल में आसन जमा के,
फिर हो जाएँगे ब्रह्मज्ञानी,
उनपर तेरी नहीं चलेगी,
फिर कोई तेरी कहानी ।
तुम हो चतुर सयानी ।

स्वरचित:-
मनु कुमारी
पूर्णियाँ बिहार

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