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मोबाईल की दुनियां-सुरेश कुमार गौरव

Suresh kumar

मोबाईल की दुनियां

कल तक अपनी ‌कलम से, लिखावट की बाते थीं!
डाक से अपनों को पत्रादि, भेजने की आदतें थीं!!

अब जब इस मोबाइल तीव्रतम का, आया जमाना!
नई पीढ़ी उलझती गई, इसका हुआ खूब दीवाना!!

इसने कर दिया लोगों को लगता, बिल्कुल ही परतंत्र !
बहुत ही समय खपाने का है, यह अनोखा अद्भुत यंत्र!!

इसने बढ़ा दी, अपनों से दूरियां और औरों से जुड़ाव!
आत्मिक रिश्तों के होने लगे, बहुत पराभाव और दुराव!!

कहना हो किसी से, कुछ काम और बात जरुरी करने!
मोबाइल कीड़ा बने लोग, लगे बहाने कई-कई ढूंढ़ने !!

अब न वो जमाना लौटेगा और न अपनों की दुनिया!
इसी में व्यस्त लगे रहने से लोग, बढ़ाने लगे दूरियां!! 

कई लोग इससे होने लगे, कई-कई व्याधियों के शिकार !
मैं सिर्फ नहीं कहता, इससे होने लगे सबको सिर्फ विकार !!

दिन दुनिया की सारी खबर देने को, यह सदैव रहता तैयार !
मोबाइल, ऐप-साईटों से कई पढ़-समझ बन रहे होशियार !!

ज्ञान-विज्ञान की बातें हों, आनलाईन क्लास या रोचक तथ्य !
मोबाइल पहु़ंचाते रहते घर बैठे, सारी तीव्रतम घटनाएं सत्य !!

मिनटों में नहीं कर पाते, मनमाफिक खबरों के आदान-प्रदान !
फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्ट्राग्राम, ट्यूटर और मैसेंजर से समाधान !!

इससे लोग बन रहे सदा, एक दूसरे के पूरक और सहयोगी !
हो रहे कई-कई रोजगारी और अर्थोपार्जन से कर्मयोगी !!

इससे पृथक और भी हैं, कई-कई जरूरी और उपयोगी कार्य !
पर मोबाइल के इस दुनिया की बातें भी, करनी होगी स्वीकार्य !!

सुरेश कुमार गौरव

पटना (बिहार)
स्वरचित व मौलिक 

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