बाल कविता
रोज नहाकर खाती अम्मा।
आज अलग इठलाती अम्मा।।
अम्मा बोलो कौन खता है?
कारण मुझको नहीं पता है।
सुर्य देव का व्रत समझायी।
आज नहाय-खाय बतलायी।।
लकड़ी पर ही जिसे पकायी।
दिनकर को थी भोग लगायी।।
चना-दाल, कद्दू की भाजी।
अरवा चावल कहती खा जी।।
आज इसी का भोग लगाई।
गीत छठी मैया की गाई।।
दिनकर हैं ऊर्जा के दाता।
शुद्धि भाव है इनको भाता।।
व्रत फल में हूँ तुमको पायी।
तुम पर दिनकर हो वरदायी।।
अम्मा की बातों को माना।
हर्षित होकर खाया खाना।।
छठ-पूजन दुख को है हरती।
मेरे हित अम्मा व्रत करती।।
अम्मा का मैं कहना मानूँ।
शुद्ध भाव से रहना जानूँ।।
अम्मा का मैं बेटा राजा।
चला बजाने अब मैं बाजा।।
रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्रधान शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला, बिहटा, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978
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