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नारी महान-विजय सिंह नीलकण्ठ

नारी महान
हम मानव हैं एक समान 
बच्चा बूढ़ा नौजवान 
चाहे नर या नारी महान 
रखना है इस बात का ध्यान। 
जन-जन में है बड़ी बुराई 
भेद-भाव इसने अपनाई 
बेटों को मानता अपना 
और बेटियाँ कहते पराई। 
जन-जन को यह पता है होता 
यही है बहन वह माता 
केवल अपने शान के खातिर 
है इनको दबाता जाता। 
होते इनके अनेकों रूप 
होती हैं सुंदर सुरूप 
चाची दादी नानी बन जाती 
सहचर का भी लेती रूप। 
तरह-तरह के संघर्षों से 
इन्हें मिला कीमती स्थान 
लेकिन जन-जन करते रहते 
स्थानों का भारी अपमान। 
है यह हर क्षेत्र में आती 
बढ़-चढ़कर कर्म है करती। 
नित्य समय का पालन करती 
कर्म पथ पर सजग है रहती। 
कभी न कोई शिकायत करती 
स्वयं के पथ पर चलती रहती 
कभी किसी को नहीं टोकती 
नहीं छेंकती नहीं रोकती। 
कोई भी दुःख होने पर भी 
क्षण में उसे भुला जाती है 
बड़ी महानता इनमें होती 
जो इनका प्रिय साथी है। 
काली दुर्गा कात्यायनी बनकर 
दुष्टों का है नाश किया 
कृष्ण भक्त बनकर मीरा ने 
सुधा समझकर गरल पिया। 
सरस्वती बन विद्या देती 
लक्ष्मी धन से घर भर देती 
सावित्री बन सत्यवान को 
यमलोक से लेकर वापस आती। 
पन्ना रूपी देशभक्त बन 
स्व सुत का किया बलिदान 
लक्ष्मीबाई वीरांगना बन 
देश के लिए हुई कुर्बान। 
सरोजनी सुचित्रा बनकर 
इंदिरा का रूप धरकर 
सुषमा व प्रतिभा ने मिलकर 
किया देश का मान ऊपर। 
सानिया साइना नेहवाल 
सुनीता हो या बछेंद्री पाल 
कई क्षेत्र में नाम कमाकर 
खड़ा किया अद्भुत मिसाल। 
दहेज प्रथा का इनपर मार 
जन-जन करते इस पर वार 
समय रहते नहीं चेतोगे 
मिट जाएगा यह संसार। 
देना होगा इनको सम्मान 
तभी बढ़ेगा इनका मान 
खुश होंगे प्यारे भगवान 
कहलाओगे तब इंसान। 
इसके लिए सजग होना है 
भेदभाव नहीं बोना है 
होगा तब कल्याण हमारा 
फलेगा-फूलेगा जग सारा। 
नहीं तो हमेशा पछताओगे 
शरण नहीं कहीं पाओगे 
मलते रह जाओगे हाथ 
छोड़ोगे यदि इनका साथ। 
जब इनको अपना मानोगे 
तभी रहेगी प्यारी बहना 
जो सबका है सुंदर गहना 
आंसू कभी न बहने देना 
हम कवियों का यही है कहना।
विजय सिंह नीलकण्ठ
सदस्य टीओबी टीम
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