Site icon पद्यपंकज

नारी शक्ति-प्रियंका कुमारी

नारी शक्ति 

नारी शक्ति तुझे कोई समझ न पाया है,
कभी बनती अबला, तो कभी बनती तू अंगारा है।

वक्त के साथ कहते हैं किसे परिवर्तन,
यह संसार तुझसे सीख पाया है।

हर मोड़ पर, तेरे हैं अलग-अलग रूप,
अलग-अलग तुझसे नए रिश्ते हमने पाया है।

सोचूं ! तुझमें यह जज्बा कहाँ से आया है,
नारी शक्ति तुझे कोई समझ न पाया है।

कभी हृदय! कोमल मोम बन जाता है,
तो कभी कोमल हाथों से तू अपनी बगिया सजाती है।

वक्त पड़ने पर तू कोमल से पत्थर भी बन जाती है,
अपनी ताकत से तू चट्टानों को भी तोड़ने की हिम्मत दिखलाती है।

सोचूं, तुझमें यह जज्बा कहाँ से आया है,
नारी शक्ति तुझे कोई समझ ना पाया है ।।

त्याग, ममता, स्नेह की देवी तुझे सबने माना है,
दुर्गा, काली, चंडी जैसी तेरे कई रूप को भी दुनियाँ ने जाना है।

वक्त पड़ने पर लाज का गहना त्याग,
योद्धा का पोशाक तूने अपनाया है,
इतिहास गवाह है कैसे तूने दुश्मनों को भी धूल चटाया है।

सोचूं ! तुझमें यह जज्बा कहाँ से आया है,
नारी शक्ति तुझे कोई समझ ना पाया है ।

दिल में तेरे लाख दर्द हो,
फिर भी तू मुस्कराती है,
आँखों के आँसू पीकर ,
सबको हँसना सिखाती है।

नारी तेरे हर रूप पर मैंने अपना शीश झुकाया है,
नारी शक्ति तुझे कोई समझ ना पाया है।।

✍️✍️प्रियंका कुमारी
 प्राथमिक विद्यालय रहिया टोल
 बायसी पूर्णिया

0 Likes
Spread the love
Exit mobile version