विषय -चित्रगुप्त महाराज।
शीर्षक -जन्म मरण का लेखा-जोखा
सबसे पहले
चित्रगुप्त का मतलब-
चित्र-का मतलब तस्वीर यानि फोटो
गुप्त-गुप्त का मतलब अंदर की बात बाहर प्रकट न हो यानि गुप्त बात।
आज है चित्रगुप्त महाराज जी का पर्व
हमें है कायस्थ जाति होने का गर्व,
क्योंकि हम हैं उन्हीं देव पुरुष के संतान
इसलिए कायस्थ जाति पर है हमें अभिमान।
चित्रगुप्त जी महाराज की थी दो पत्नियांँ
उन दोनों से हुआ बारह संतान,
पत्नी शोभावती से भानु ,विभानु ,विश्वभानु ,वीर्य भानु,
पत्नी नंदनी से चारु, सुचारु, चित्र,मतिभान
हिमवान ,चारुण, चित्रचारु और अतिन्द्रिय, ये आठों हैं इनके संतान।
जो करते हैं हम सबों के जन्म- मरण का लेखा-जोखा
उनसे न कोई कर सकता है धोखा,
सबका रखते वहीं हिसाब
उन्हीं के हाथ में है जीवन की किताब।
जो-जो करते हैं अच्छे बुरे कर्म
उनपर रखते हैं वो कड़ी नजर,
खींच लेते हैं उनकी फोटो
लेते रहते उसकी खबर।
अच्छे कर्म करने वाले को भेजते हैं स्वर्ग
बुरे कर्म वाले को भेजते हैं नर्क,
वो रखते सबका बही -खाता
उसी के अनुसार उसको देते कर्मफल।
बस संत महात्मा हीं हैं ऐसे महापुरुष
जो स्वर्ग नरक पर करते खखार,
क्योंकि उनको मिलता है अपवर्ग
इसलिए कि वे करते सबका उपकार।
उन्हीं संत महात्माओं में आते हैं
हमारे चित्रगुप्त जी महाराज,
जिनका जन्म दिन है आज
ईश्वर के ये हैं काया जो करते जन्म मरण का काज।
भाई कभी न करना ऐसा काम
जिससे चित्रगुप्त महाराज को लिखना न पड़े आपका नाम,
मन में न हो लोभ ,मोह ,और भय
सभी एक साथ बोलो चित्रगुप्त महाराज की जय।
नीतू रानी (विशिष्ट शिक्षका)
स्कूल -म०वि०रहमत नगर सदर मुख्यालय पूर्णियाँ बिहार।

