पधारो हे वीर महान
भूमंडल पर अवतरित हुआ था,
एक अद्भुत इंसान महान,
जिनका न था कोई ठिकान,
गुणों के जो थे खान,
त्याग तपस्या संयम की प्रतिमूर्ति,
सोच जिनकी सबसे जुदा समान,
सत्य अहिंसा जिनका कमान,
नाम था भगवान महावीर महान।
काम था जिनका जगत कल्याण,
भटके को राह दिखाने की ली ठान,
उनकी वाणी जैन धर्म की शान,
पंचशील सिद्धांत से जग को कराया भान,
सत्य अहिंसा अपरिग्रह अस्तेय ब्रह्मचर्यरूपी अस्त्र से,
दुनिया को दिखाया राह तमाम,
पधारो हे वीर महान।
करो पुनः जगत कल्याण,
भटके का कर दो राह आसान,
अपने सिद्धांतों से कर दो नव निर्माण,
जग गाता है गायेगा, एक ही धुन समान,
हे महावीर तू महान, जग में न कोई तेरे समान।
विवेक कुमार
(स्व रचित एवं मौलिक)
उत्क्रमित मध्य विद्यालय, गवसरा मुशहर
मुजफ्फरपुर, बिहार
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