Site icon पद्यपंकज

पढ़ना है-अशोक प्रियदर्शी

पढ़ना है

पढ़ने का काम जिसने शुरू किया 
अति उत्तम सबों को है विद्या दिया।
पढ़ाई ही मानव का असली पूजा है
इसके सिवा कुछ नहीं दूजा है।

पढ़ना सिर्फ एक काम है 
जिसका अमूल्य दाम है।
जिसने पढ़ाई की है दिल से
जग में बहुत उसका नाम है।

पढ़ाई एक साधना है 
इसमें काफी वेदना है।
पढ़ते तो है सभी कोई 
पर सफल होते हैं कोई-कोई।

असफलता के मझदार में 
चेतना रहती है खोई-खोई।
पढ़ाई के बल पर जीत सकते हो तीनो लोक 
इतिहास के पन्नों में तुम बनोगे योग्य।

पढ़ाई में काले गोरे का भेद नहीं 
पद नशीन हुए उस जैसा कोई तेज नहीं।
सत्य असत्य की कहानी 
पढ़ाई बताती है जुबानी।

पढ़ाई ही है माता पिता 
पढ़ाई सब सुख-दुःख दाता।
भाग्य बदलने में माहिर है 
पढ़ाई ही है भाग्य विधाता।

पढ़ाई जैसी मजा कहाँ 
यह याद आती है जहाँ।
पढ़ाई की भीड़ में खो जाते हैं सब 
सारे सपने टूट जाते हैं, पढ़ाई याद आती है तब।

अशोक प्रियदर्शी
शिक्षक, कवि/लेखक
बाँसबाड़ी, बायसी 
पूर्णिया (बिहार)

0 Likes
Spread the love
Exit mobile version