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पेड़ लगाएँ पेड़ लगाएँ-प्रीति कुमारी

पेड़ लगाएँ पेड़ लगाएँ

आओ मिलकर पेड़ लगाएँ
नाचे गाएँ खुशी मनाएँ  
पेड़ लगाएँ पेड़ लगाएँ ।
पेड़ों से हरियाली आती
बागों में कोयलिया गाती,
वन-उपवन में फूल हैं खिलते
इन पर भँवरे गुंजन करते
रोज सवेरे बुलबुल आती
मीठे-मीठे गीत सुनाती।
गौरैयों का चहचहाना
याद दिलाता गीत पुराना,
दादा-दादी का वह आँगन
लगता था कितना मन-भावन ।
आँगन में था आम का पेड़
बागों में रसभरे बेर,
अमराइयों में झूला लगता
चिन्टु-मिन्टु मस्ती करता ।
जाती हूँ जब अपने गाँव
याद आता पीपल का छाँव,
अब न रही वह अमराइयाँ
और न रहे पीपल के छाँव,
एक मीठा ख्वाब बन कर
रह गया हमारा गाँव ।

प्रीति कुमारी
कन्या मध्य विद्यालय मऊ विद्यापति नगर समस्तीपुर

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