प्रकृति
प्रकृति का उपकार है सबपर
जिससे जीवन आसान हुआ,
प्रकृति सबका पोषण करती है
जिससे जीवन खुशहाल हुआ।
पानी है अनमोल धरोहर
प्रकृति ने दिया है हमें,
इसके महत्व को जानो सब
व्यर्थ न इसे बहाओ अब।
पानी से ही जीवन संभव है
आओ इसे बचाएँ मिलकर,
ये तो है अमृत की धारा
यूँ न इसे बर्बाद करो।
वृक्ष हमें देता है वायु
इससे पर्यावरण भी शुध्द हुआ,
शुध्द हवा लेने से हरदम
बढ़ जाती है सबकी आयु।
चारो ओर फैला है वसुन्धरा
कहीं पहाड़, कहीं उपवन है,
प्रकृति का अनमोल यह संगम
दिखता बहुत ही सुन्दर है।
प्रकृति की आँगन में बहती
नदियाँ और समुद्र भी है,
सूर्य का प्रकाश फैला है यहाँ पर
प्रकृति का यह धरोहर है।
प्रकृति का यह विहंगम दृश्य
मनभावन सा लगता है,
फैला यहाँ चहुँ ओर धरा है
इस पर ही जीवन संभव है ।
भवानंद सिंह
रानीगंज अररिया
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