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प्रवेशोत्सव-जैनेन्द्र प्रसाद रवि 

प्रवेशोत्सव

बच्चों को हमें पढ़ाना है,
हमें नया बिहार बनाना है।
अशिक्षित समाज के लोगों में,
शिक्षा का अलख जगाना है।।
बच्चे को विद्यालय में भेजो,
पढ़ाने का अवसर है आया।
मौका हाथ से जाने न पाए,
अनपढ़ का दाग़ मिटाना है।
हमें नया बिहार बनाना है।।
जब पढ़ेगा मुन्ना, मुनिया,
तब बदलेगी उसकी दुनिया।
मजबूरी से आगे बढ़कर,
उसका सिर ऊंचा उठाना है।
हमें नया बिहार बनाना है।।
पढ़-लिखकर बड़े जब होंगें,
अपने पैरों पर खड़े जब होंगें।
परिश्रम और लगन के बल पर,
उसे पत्थर पर दूब ज़माना है।
हमें नया बिहार बनाना है।।
कोई विद्यालय होंगें पास तेरे,
कुछ शिक्षक होंगे खास तेरे।
है शिक्षा का अधिकार मिला,
यह बात उन्हें समझाना है।
हमें नया बिहार बनाना है।।
सुनो! कोरोना काल भुलाकर,
चला गया वो हमें रुलाकर।
आशाओं का दीप जलाकर,
जीवन को आगे बढ़ाना है।
हमें नया बिहार बनाना है।।
नामांकन का आया है उत्सव,
विद्यालय मना रहा पर्वोत्सव।
इस अवसर का लाभ उठाकर,
अब नया समाज बनाना है।
हमें नया बिहार बनाना है।।
नामांकन की चुनौती करो स्वीकार,
सभी सपने तेरे होगें साकार।
तुझे तेरा अधिकार मिलेगा,
कल आयेगा तेरा ज़माना है।
हमें नया बिहार बनाना है।।

जैनेन्द्र प्रसाद रवि 
म. वि. बख्तियारपुर, पटना

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