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प्रेम-अनुज वर्मा

प्रेम

प्रेम जगत की आस,
प्रेम जगत की प्यास। 
प्रेम बड़ा उपहार है,
बिन इसके सब बेकार है। 

प्रेम से इर्ष्या दूर हो,
प्रेम वाले मशहूर हो। 
जीवन में सुकून हो,
जहाँ प्रेम की पुष्प हो। 

प्रेम हो जिस मानव में,
क्रोध का कोई मोल नहीं। 
प्रेम हो जिस आँगन में,
इर्ष्या का कोई बोध नहीं। 

प्रेम अनमोल है,
बोली में इसका मोल है। 
प्रेम वो सत्य है,
झोली में जिसके मेल है। 

प्रेम मेल का कुँजी है,
प्रेम से बड़ी न पूँजी है।
प्रेम जीवन का आधार है,
प्रेम बिना जीवन बेकार है।

अनुज वर्मा
कटिहार बिहार

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