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पुरुष होना आसान नहीं…मनु कुमारी



जिम्मेदारी का बोझ उठाए।
अपने नींद और चैन गंवाए।
वो मेहनत करें आराम नहीं ।
पर मिलता उसे सम्मान नहीं ।
सुनो!पुरुष होना आसान नहीं।

मिलते हैं उसे कई उपनाम ।
बुजदिल,नकारा,जोरू का गुलाम।
डरपोक,नालायक , मातृभक्त सुनकर भी,
होता वह कभी परेशान नहीं ।
पुरुष बनना आसान नहीं।

बहन  का रक्षक बनकर रहता ।
पढ़ाई लिखाई संग शादी ब्याह का,हँसकर वो हर फर्ज निभाता ।
पैसा कमाता कमर तोड़ कर पर।
दिखलाता वो कभी थकान नहीं।
पुरुष बनना आसान नहीं।

उलाहने कभी पत्नी की सुनता।
माता पिता से दर्द छिपाता।
परिवार की सेवा में फिर भी।
होने देता कोई व्यवधान नहीं ।
पुरुष होना आसान नहीं।

बेटा – बेटी भी बोल सुनाए।
फिर भी  कभी वह न उकताए।
प्रेम स्नेह का बारिश करके,सदा धैर्य का पाठ पढ़ाए।
देव रूप में पुरुष के जैसा ,धरती पर कोई इंसान नहीं ।
पुरुष होना आसान नहीं।

सहनशक्ति का रूप पुरुष है।
मर्यादा का पाठ पुरुष है।
शिक्षा, सद्गुण,सदाचार का
सुंदर प्रेरक व्याख्यान पुरुष है।
पत्थर सदृश वह दिखता है पर
होता सच में पाषाण नहीं।
पुरुष होना आसान नहीं।

पुरुष से हीं यह जग है प्यारा।
पुरुष ने है जीवन को संवारा।
सभी रिश्तों का मान बढ़ाता।
बिन उसके जीवन में मुस्कान नहीं।
पुरुष होना आसान नहीं।

हर घर उनका मान बढ़े ।
सिर पर सम्मान की ताज चढ़े ।
सेवा प्रेम से मधुरिम जीवन बनाए।
कभी लाए वो तूफान नहीं।
पुरुष बनना आसान नहीं।


स्वरचित एवं मौलिक
मनु कुमारी ,विशिष्ट शिक्षिका, प्राथमिक विद्यालय दीपनगर बिचारी, राघोपुर, सुपौल

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