प्यारी बहना
तुमसे सुरभित मेरी जिंदगी
तुम ही प्रार्थना तुम ही बंदगी
तेरी प्यारी मासूम सी सूरत
ममता लुटाती माँ की मूरत
निर्मल अन्तःकरण तुम्हारा
जीवन प्रभा शुभ उजियारा।
तू ही संस्कृति की महक
परमपिता की मोहक झलक
तुमसे सुगंधित स्वर्णिम सपना
इक तू ही सुंदर प्यारी बहना
दूर रहे या पास पास
मृदुल मीठा होता एहसास।
तेरी शरारतें मधुर मुस्कान
सघन कालिमा फिर नव विहान
बांध कलाई रेशम की डोरी
माथे तिलक कुमकुम रोली
रिश्तों का यह सुरम्य तपोवन
प्रतिपल प्रगाढ स्नेह संरक्षण।
सुरभित हो तेरा घर अंगना
इक तू ही सुंदर प्यारी बहना।
दिलीप कुमार गुप्त
मध्य विद्यालय कुआड़ी
अररिया
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