गजल एक प्रयास
चलो अब आज हम सीखें कहा कैसे गजल यारों।
जिसे उर्दू गजल कहता वही हिंदी सजल यारों।।
कहा कोई अजल इसको बिना सिर पैर सा देखो।
मगर सबके तरीके एक ही करना पहल यारों।।
हमें मालूम है इतना रचें कुछ भी छुए दिल को।
पढ़ें चाहे कभी कोई रहे दो पल मचल यारों।।
नहीं हमने पढ़ा जिसको समझ पाया यही थोड़ा।
मगर समझा यहाँ जो भी उसे लाया अमल यारों।।
पता मुझको नहीं लगता कमी अपनी लिखावट में।
मगर विश्वास पक्का है मिलेगी त्रुटि प्रबल यारों।।
सजा है मंच विद्वत का करें चर्चा यहाँ खुलकर।
तभी होगी मदद मुझको करें रचना नवल यारों।।
दुआओं में रहेंगे आप आभारी सदा ही मैं।
भरोसा दे रहा इतना बनेंगे भी सफल यारों।।
रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्रधान शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला, बिहटा, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978
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