रचना – कुंडलिया
रचना मनहर हो तभी, दे सुंदर संदेश।
मात शारदे की कृपा, भरती भावावेश।।
भरती भावावेश, शब्द शुभ अंतस आते।
लिखना हो आरंभ, पूर्ण सहसा हो जाते।।
मौन अचंभित रोज, नहीं चाहूँ मैं बचना।
माता का आशीष, कराए जो नित रचना।।०१।।
रचना करना है हमें, मन में ऐसा भाव।
जो सबको पुलकित करे, भरे सदा ही घाव।।
भरे सदा ही घाव, लगे मरहम के जैसा।
महके पुष्प समान, रहे पल चाहे कैसा।।
निज पीड़ा को भूल, शुरू कर दें सब नचना।
गौरी दो आशीष, करूँ ऐसी ही रचना।।०१।।
रचनाकार:- राम किशोर पाठक
प्रधान शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला, बिहटा, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978
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