राष्ट्रपिता को नमन
प्रभु नाम का तू प्रतिमूर्ति
एकता और भाईचारा का मूर्ति।
स्वच्छता को तूने अपनाया,
सुन्दर अपना राष्ट्र बनाया।
सत्य के पथ पर चलना सिखलाया,
अहिंसा अपनाकर जीना सिखलाया।
चरखा को तूने हीं बनाया,
हर घर ने इसको अपनाया।
विदेशी वस्त्र को जलाकर,
स्वदेशी वस्त्र स्वीकार किया।
दांडी यात्रा में पैदल चलकर,
नमक कानून को तोड़ दिया।
सदा मनोबल उच्च रहा,
जीवन सादा तूने जिया।
धैर्य हमेशा साथ ही रहते,
सुख-सुविधा त्याग हीं करते।
टैगोर की उपाधि “महात्मा” अर्पित,
श्रद्धा सुमन तुझको समर्पित।
“करो या मरो” का नारा दिया,
सबको जीने का सहारा दिया।
पावन भूमि है यहाँ की,
जिसपर तुमने जन्म लिया।
धन्य हैं हम भारतवासी,
जिनको तेरा संग मिला।
स्वतंत्रता का जो सपना देखा,
उसको तुमने साकार किया।
राष्ट्र की प्रतिष्ठा बढ़ाया,
तभी तो “राष्ट्रपिता” कहलाया।
अनुज कुमार वर्मा
मध्य विद्यालय बेलवा
कटिहार, बिहार