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रावणी गुण- राम किशोर पाठक

Ram Kishor Pathak

हिंदी - किशोर छंद

हत्या चोरी आचार यौन ।

झूठी वाणी रहना न मौन।।

भाषा विभक्त-कारी कठोर।

धारे लालच लोभ घनघोर।।

कारण प्रभाव देता नकार।

व्यर्थ गपशपी सदा व्यवहार।।

ईर्ष्या क्रोध घृणा से प्रवीण।

आवेग अहं का हो धुरीण।।

ऐसे अवगुण रावण समक्ष।

निंदित होता होकर सुदक्ष।।

विद्वान भला कैसा महान।

देता उसको जग है न मान।‌।

दुर्गा हो चाहे कृष्ण राम।

दंडित करते उसको तमाम।।

पाते ईश्वर की भक्ति नाम।

रावण ऐसी हने वह राम।।

रचयिता:- राम किशोर पाठक 

प्रधान शिक्षक 

प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला

बिहटा, पटना, बिहार

संपर्क – 9835232978

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