Site icon पद्यपंकज

ऋतुराज बसंत-अवनीश कुमार

ऋतुराज बसंत

आया आया बसंत आया
खुशियों का सौगात लाया।

इसकी करो तुम जी भर प्रंशसा
ऋतुराज बसंत है ही कुछ ऐसा
इसके बड़े है तेज़ नखरे,
फिर भी लगते सबको प्यारे।

शीत, पतझड़ के बाद यह है आया
सबके मन को यह है भाया
शीत से अब तुम बच बैठे,
अप्रैल फूल तुम बन बैठे!

आया आया बसंत आया
खुशियों का सौगात लाया।

तरु पर मंजर है आये
वृक्षों पर नए किसलय छाए
कोयल है कूकने लगे,
कुसुम है महकने लगे।
चारों ओर हरियाली छाया
सबके मन को यह है भाया।

है इस सृष्टि का खूबसूरत नजारा
इसका बड़ा है खेल प्यारा।

आया आया बसंत आया
खुशियों का सौगात लाया।

बसंत पंचमी इसमें है आता,
महापर्व होली भी समाता।
बच्चे इसका गुणगान करते
कवि इसका बखान करते।

कितना प्यारा ! कितना न्यारा !
आया आया बसंत आया
खुशियों का सौगात लाया।

अवनीश कुमार  
उत्क्रमित मध्य विदयालय अजगरवा पूरब
पकड़ीदयाल, पूर्वी चंपारण (मोतिहारी)

0 Likes
Spread the love
Exit mobile version