स का दंभ
एक संकट है आया भैया,
देता एक संकेत………
इसकी संगति संपर्क स्पर्श,
कर रहा संहार सर्वनाश,
संक्रमित कर रहा जन को,
सूचक संग संयोग
संभावना संताप की,
कह रहा करो ना..
नाम है इसका कोरोना,
कहता यह बार-बार
गलती कर तू एक बार,
स्पर्श कर पास आ,
न कर संकोच तू,
यह बात है वह जानता,
लालच का मारा मानव बेचारा,
निकलेगा अपनी मांद से,
करूंगा शिकार लूंगा उसकी जान,
अब बहुत हुआ चूहे बिल्ली का खेल,
बचना संग बचाना होगा मानव का अस्तित्व,
लेना होगा संकल्प हमें,
संयम समझदारी सतर्कता
सजगता सहनशीलता एवं सावधानी का,
संपूर्णता से, करना होगा पाठ याद,
संकोच का करना होगा त्याग,
सोशल डिस्टेंसिंग सफाई (हाथों की) सैनिटाइजर संग सुरक्षा कवच मास्क का,
साथ ही वैक्सीन को बनाना होगा अपनी ढाल,
संचार का करना होगा विस्तार,
संभल कर चलना परिस्थितियों से सबक लेना,
सशक्त एवं सक्रिय बनने के पथ पर
चलना होगा,
तभी मिलेगी हमें सफलता,
पार पाएंगे इस महासंकट से,
हार होगी कोरोना की, जीतेंगे हम।
विवेक कुमार
उत्क्रमित मध्य विद्यालय गवसरा मुशहर, मड़वन, मुजफ्फरपुर