बासंती छंद वार्णिक
आओ मेरे पास, सफल जो चाहो होना।
भूलो सारी बात, अगर चाहोगे सोना।।
हारे वैसे लोग, सतत आगे जो भागे।
जीते हैं वें लोग, अगर पीछे भी जागे।।
पाना हो जो प्यार, सुमन शूलों में झूमें।
भाए काली रात, गगन चंदा जो चूमें।।
शब्दों की हो डोर, मधुर वाणी जो बोलें।
छू लेते हैं छोर, सजग जो आँखें खोले।।
सद्कर्मों के साथ, सफल होते हैं प्यारे।
जागे सारे भाग्य, सुलभ आँखों के तारे।।
ज्यों ही साधे लक्ष्य, विजय भी है आ जाता।
होते जैसे कर्म, फल वही है भी पाता।।
रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्रधान शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला, बिहटा, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978
0 Likes

